रायपुर पश्चिम में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर विचार संगोष्ठी, सांसद और विधायक ने रखे विचार

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation…

अंबिकापुर और बरमकेला में 33 करोड़ की गड़बड़ी उजागर, CEO समेत 13 पर FIR

रायपुर | छत्तीसगढ़ ब्रेकिंग न्यूज़ — छत्तीसगढ़ के सहकारी बैंकों में करोड़ों की गड़बड़ी सामने आई…

अजय चंद्राकर का राहुल गांधी पर हमला | छत्तीसगढ़ जातीय जनगणना विवाद

रायपुर। देश में जातीय जनगणना कराने के फैसले पर कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी को धन्यवाद दिए…

डॉ.अंबेडकर 12 दिसम्बर 1945 को रायपुर आये थे,आमसभा लारी स्कूल में …{ किश्त 261}

डॉ.अंबेडकर 12 दिसम्बर 1945 को रायपुर आये थे,आमसभा लारी स्कूल में …{ किश्त 261} डॉ. भीमराव…

रायपुर के डंगनिया में परशुराम जयंती समारोह, सीएम विष्णुदेव साय ने की पूजा-अर्चना

राजधानी रायपुर के डंगनिया स्थित भगवान परशुराम मंदिर में ब्राम्हण समाज द्वारा धूमधाम से परशुराम जयंती…

बालोद में तांदुला डेम में नाव पलटने से मछुआरे की मौत, 36 घंटे बाद मिली लाश

बालोद, छत्तीसगढ़ — जिले के तांदुला जलाशय में एक दर्दनाक हादसे में मछली पकड़ने गए बोरिद…

मासिक छत्तीसगढ़ी सुराज का 15 वेँ साल मेँ प्रवेश पर परिचर्चा

मासिक छत्तीसगढ़ी सुराज का 15 वेँ साल मेँ प्रवेश पर परिचर्चा छत्तीसगढ़ में मार्च 26 तक…

दुआ करो की सलामत रहे
मेरी हिम्मत….
ये इक चिराग कई आँधियोँ
पे भारी है….

भारतमाला प्रोजेक्ट मुआ वजा घोटाला रोका जा सकता था पर उस समय पदस्थ रायपुर के कलेक्टरों ने शिकायतों की जाँचकरने में रुचि नहीं दिखाई!उसका कारण क्या था इसकी जाँच ईओडब्लू कर रही है।सूत्रों की मानें तो इस मुआवजा मामले में अफसर, जमीन दलालों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जासकता है।ज़ब भारतमाला प्रोजेक्ट शुरू हुआ तब रायपुर के कलेक्टर एस.भारतीदासन, सौरभ कुमार, डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे की पदस्थापना रही।सूत्र कहते हैं कि तीनों कलेक्टरों के पास विभिन्न स्तरों पर शिकायतें पहुंची थी पर ये शिकायतों पर उदासीन ही रहे,जाँच कराने कोई पहल ही नहीं की,सूत्र यह भी कहते हैं कि भूपेश सरकार के राजस्व मंत्री ने कलेक्टर को इस घोटाला मामले की शिकायत मिलने पर जाँच के निर्देश भी दिये थे,पर कोई जाँच नहीं हुई.. कहा जाता है कि जमीन दलाल,एक सराफा व्यापारी सेआईएएस के मधुर संबंधों की भी चर्चा अभी भी हो रही है,खैर ईओडब्लू इस मामले की तह पर जाकर अफसरों,जमीन दलालों, सराफा व्यापारी की मिली भगत की जाँच कर रही है..?

नक्सलवाद का खात्मा.!
अब पत्थरगढ़ी के पीछे कौन…

एक तरफ छत्तीसगढ़ खास तौर पर बस्तर मेंनक्सलवाद के खात्मे के लिये निर्णायक लड़ाई जारी हैं,वहीँ अब ‘पत्थरगढ़ी’ की चर्चा तेज है। दरअसल पत्थरगढ़ी की आड़ में राजनीति का एक नया दांव खेला जा रहा है। ग्रामसभा की ताकत के सहारे कुछ जगह पत्थरगढ़ी को महिमा मंडित करते हुए संविधान की पांचवी अनु सूची की नई व्याख्या की जा रही है।भोले-भालेआदि वासी संविधान कीपरिभाषा तो नहीं जानते हैं पर उनके मानस पटल में कुछ लोगों द्वारा नया संविधान लिखने का कुचक्र रचा जा रहा है। हो सकता है कि ‘पत्थरगढ़ी’ करना आदिवासी समाज की सांस्कृतिक विरासत हो लेकिन इन्हीं घटनाओं को लेकर राजनीति का नया दांव खेलने का प्रयास शुरू हो गया है। संविधान की पांचवीअनुसूची केअनुच्छेद 244 (1) अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचितजनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के अधिकार का कानून है। अनुसूचित क्षेत्र (शेड्यूल टाइव एरिया) में पारंपरिक ‘ग्राम सभा’ का अपना नियं त्रण और प्रशासन होता है। पांचवी अनुसूची क्षेत्र में आदिवासियों के बीच नियं त्रण एवं प्रशासन के लिए पी-पेसा या पेसा कानून 1996 की धारा 40 के तहत स्वायत्तशासी परिषद नियमावली राज्य शासन को बनाना था जो विधि सम्मत था पर आज तक इसे लागू नहीं किया गया। आदिवासी क्षेत्रों में शांति, सुशासन के लिए अपवादों उपांतरणों के अधीन रहते हुए ‘ग्राम सभा’ को सारे अधिकार दिया जाना था, आदिवासी क्षेत्रों में जिस तरह उद्योगपतियों को आमं त्रित किया जा रहा है उससे भी आक्रोश है। छग सहित कुछ अनुसूचित जनजाति राज्यों में एक लाख एकड़ से भीअधिक आदिवासी क्षेत्रों की जमीन का अधि ग्रहण किया जाना है,सवाल फिर उठ रहा है, जब कोई अनुसूचित क्षेत्र की जमीन अधिग्रहण नहीं कर सकता तो फिर कैसे बाहरी उद्योग पतियों को जमीन मुहैया कराई जा रही है,आदि वासियों की समस्याएं है, उन्हें कुछ लोगों के बहकावे में आकर पत्थरगढ़ी जैसा कदम सीधे-सीधे भी नहीं उठाना चाहिए, सरकार को भी आदिवासियों की सम स्याओं पर गंभीरता से चिंतन करना चाहिए। ज्ञात रहे कि कुछ आदिवासीगांव में कुछ लोग पत्थर गड़ाकर अपनी गांव की सीमा तय कर रहे हैं और ग्रामीणों को उकसा रहे हैं कि उनकीअनु मति के बिना शासन- प्रशा सन, पुलिस और बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता हैl

महादेव घाट में बनेगा
भव्य कॉरीडोर…

राजधानी के प्रसिद्ध महा देव घाट के शिव मंदिर, खारून नदी के तट, मंदिर के पीछे भव्य कॉरिडोर बनाया जाएगा। कॉरिडोर उज्जैन के महाकाल कॉरि डोर की तर्ज पर होगा,केंद्र की आध्यात्मिक पर्यटन नीति के अंतर्गत रायपुर में खारून नदी के किनारे हाट केश्वर मन्दिर के पास घाटों का निर्माण,सौन्दर्यीकरण किया जाएगा। हाटकेश्वर को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है।आध्यात्मिक पर्यटन विकास के मद्देनजर यह सौंदर्यीकरण कराया जाएगा। जिसके बाद छत्ती सगढ़ भी विश्व आध्यात्मिक पर्यटन मानचित्र में और अच्छे ढंग से अंकित हो जाएगा। सौन्दर्यीकरण योजना का ऐलान राज्य सरकार की तरफ से किया गया है। यह प्रोजेक्ट छग लोक निर्माण विभाग द्वारा तैयार किया जाएगामहादेव कॉरिडोर के लिए आसपास की जो दुकानें हैं,उसको भी व्यवस्थित किया जाएगा, विधायक,पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि रायपुर को पर्यटन के तौर पर विक सित किया जा रहा है, इस के लिए महादेव कॉरिडोर अहम साबित होगा, लंबे समय से इसकी तैयारी चल रही थी।महादेवघाट रायपुर का महत्वपूर्ण स्थान है, इस लिए पर्यटन स्थल बनेगा तो पर्यटन को निश्चित तौर पर एक नई दिशा मिलेगी।

और अब बस……

0छग के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा, नक्सलियों से कोई शांतिवार्ता नहीं होगी, उन्होंने मध्यस्थता करने वालों पर भी सवाल उठाए, कहा कि ये कौन लोग हैं जो नक्सलियों को मरता देख शांतिवार्ता करने आए हैं!
0मुख्य निर्वाचन पदाधि कारी रीना बाबा साहेब की अब मंत्रालय वापसी हो गई है।
0छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों का किराया ऑनलाइन वसूलने अनूठी पहल शुरू की है। जिसका मकसद मस्जिदों, मुस्लिम बंदोबस्तों के प्रबंधन को पारदर्शी,आधुनिक बनाना है।
0 नगरनिगम रायपुर में नेता प्रतिपक्ष बदलने पर कांग्रेस के जीते 7 वार्ड मेंबरों में 5 ने इस्तीफा दे दिया है।

छत्तीसगढ़ भाजपा संगठनात्मक नियुक्तियां: पेंड्रा और गौरेला मंडल के नए अध्यक्ष नियुक्त

रायपुर | भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) छत्तीसगढ़ में संगठनात्मक नियुक्तियों का दौर लगातार जारी है। इस…

रायपुर में राज्य सैनिक बोर्ड ने किया ब्रिगेडियर टी.एस. बावा का भव्य स्वागत, भूतपूर्व सैनिकों ने जताई आशा

रायपुर/छत्तीसगढ़ | छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर स्थित राज्य सैनिक बोर्ड कार्यालय में 30 अप्रैल, बुधवार को…