RTE में फर्जीवाड़ा: रायपुर के पास नरदहा गांव बना नया हिंदी मीडियम

रायपुर/नरदहा – इरफान खान की फिल्म हिंदी मीडियम में जो दृश्य एक सिनेमाई कल्पना लगती थी, वही अब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे नरदहा गांव में हकीकत बन गया है। शहरी अभिभावक लाखों की निजी स्कूल फीस से बचने के लिए अब गांव में फर्जी निवास प्रमाण और किरायानामा बनवाकर अपने बच्चों को RTE (Right to Education) अधिनियम के तहत बड़े-बड़े अंग्रेजी स्कूलों में प्रवेश दिला रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

आरटीई अधिनियम के तहत, निजी स्कूलों को 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के छात्रों के लिए आरक्षित करनी होती हैं। लेकिन शर्त है कि छात्र का स्थायी निवास स्कूल से तीन किलोमीटर की परिधि में होना चाहिए।

रायपुर के ब्राइटन इंटरनेशनल, ज्ञान गंगा, श्यामंतक, द आरंभ सहित कई प्रमुख स्कूल नरदहा के निकट आते हैं। यही कारण है कि शहरी पालक अब फर्जी किरायानामा बनाकर यह दिखा रहे हैं कि वे नरदहा में रहते हैं।

गांववालों का गुस्सा फूटा

नरदहा के वास्तविक ग्रामीण जब अपने बच्चों को आरटीई के तहत इन स्कूलों में दाखिला नहीं दिला पाए, तो उन्होंने जब जानकारी ली तो फर्जी दस्तावेज़ों की बात सामने आई। सरपंच अमित टंडन के अनुसार, “हमारे बच्चों का हक शहरी पालक छीन रहे हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

नोडल प्राचार्य बोले – ग्रामीण ही दे रहे हैं आधार कार्ड

नरदहा के नोडल प्राचार्य भारती श्रीवास ने इस पर चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा, “शहरी पालक तभी किरायानामा बनवा पाते हैं, जब ग्रामीण खुद अपना आधार कार्ड दे देते हैं। हम दस्तावेजों का केवल ऑनलाइन सत्यापन करते हैं, भौतिक सत्यापन हमारी प्रक्रिया में नहीं है।

RTE प्रक्रिया और आंकड़े

  • आवेदन अवधि: 1 मार्च से 8 अप्रैल 2025

  • दस्तावेज जांच: 17 मार्च से 25 अप्रैल 2025

  • लॉटरी: 1-2 मई

  • प्रवेश की अंतिम तिथि: 30 मई 2025

  • प्रदेश भर में आवेदन: 1,05,372

  • लाभार्थी स्कूल: 6,695 (33 जिलों में)

प्रशासन करेगा जांच – कलेक्टर

रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह ने कहा कि अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। लेकिन यदि इस तरह के फर्जीवाड़े की पुष्टि होती है, तो निश्चित रूप से जांच व कार्यवाही की जाएगी।

निजी स्कूल संघ की राय

निजी स्कूल संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा, “पालकों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन नोडल प्राचार्य की जिम्मेदारी है। यदि फर्जी दस्तावेजों से प्रवेश हो रहा है, तो जिला शिक्षा अधिकारी और सरपंच से सत्यापन अनिवार्य किया जाना चाहिए।

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