36 साल बाद भी अधूरी बस्तर-सुकमा नेशनल हाईवे-30, झीरम घाटी से गुजरती सड़क बनी जानलेवा

जगदलपुर/सुकमा।बस्तर जिले को सुकमा से जोड़ने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 की हालत आज भी बदतर बनी हुई है। 1988 में घोषित हुए इस नेशनल हाईवे का 6.01 किलोमीटर हिस्सा अब भी राज्य मार्ग के रूप में मौजूद है, जो कि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर आता है। पर्यावरणीय सीमाओं के चलते यह हिस्सा अब तक केवल ढाई मीटर चौड़ा ही रह गया है, जिससे सड़क का चौड़ीकरण नहीं हो पा रहा है।

 सड़क नहीं, सफर बना सज़ा

बस्तर से सुकमा को जोड़ने वाला यह हाईवे दरभा, झीरम घाटी, तोंगपाल और छिंदगढ़ होते हुए गुजरता है। इन इलाकों में सड़क इतनी जर्जर हो चुकी है कि गड्ढों की वजह से सड़क ही नजर नहीं आती। सुकमा से जगदलपुर की 100 किलोमीटर की दूरी तय करने में अब 4 से 5 घंटे तक लग रहे हैं। वहीं, केवल तोंगपाल से सुकमा के 50 किमी हिस्से को पार करने में 2 से ढाई घंटे तक का वक्त लग रहा है।

 नेशनल हाईवे पर बना पर्यावरणीय अवरोध

इस सड़क का 6.01 किलोमीटर हिस्सा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरता है। उद्यान के भीतर आने के कारण सड़क चौड़ीकरण की अनुमति अब तक नहीं मिल पाई है। वन्यजीवों और गुफाओं को नुकसान न पहुंचे, इस कारण यह कार्य स्थगित किया गया है। यही वजह है कि यह हिस्सा आज भी राष्ट्रीय राजमार्ग की जगह राज्य मार्ग के रूप में दर्ज है।

 झीरम घाटी: एक दर्दभरी याद

गौरतलब है कि 25 मई 2013 को इसी सड़क पर झीरम घाटी नक्सली हमला हुआ था, जिसमें 31 लोगों ने शहादत दी थी। यह मार्ग अब उन शहीदों की याद दिलाते हुए खुद पर आंसू बहाता नजर आता है। लेकिन विडंबना यह है कि सुरक्षा के इस संवेदनशील मार्ग पर सुधार की गति बेहद धीमी है।

 टेंडर प्रक्रिया में है रिनीवल कार्य

लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग उपसंभाग सुकमा के एसडीओ दिलीप बारला ने जानकारी दी कि, NH-30 के जर्जर हिस्से के रिनीवल का कार्य फिलहाल टेंडर प्रक्रिया में है। कार्य स्वीकृत होने के बाद मरम्मत का काम जल्द शुरू किया जाएगा।

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