केंद्रीय विद्यालय में 150 तो प्राइवेट स्कूल में 2000 रुपये की किताबें, शिक्षा के नाम पर लूट!

रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नए शैक्षणिक सत्र के साथ ही किताबों की लूट फिर से शुरू हो गई है। एक ओर जहां केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalaya) में बच्चों की किताबों का खर्च महज 150 से 200 रुपये तक सिमटा है, वहीं दूसरी ओर, निजी स्कूलों (Private Schools) में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बुक सेट का खर्च 2,000 रुपये से लेकर 6,000 रुपये तक पहुंच गया है।

केंद्रीय बनाम प्राइवेट स्कूल: एक ही पाठ्यक्रम, अलग खर्च

दो पालकों के अनुभव ने यह साफ कर दिया है कि सीबीएसई (CBSE) बोर्ड के बावजूद स्कूलों की किताबों का खर्च आसमान छू रहा है।

  • केंद्रीय विद्यालय में केवल एनसीईआरटी (NCERT) किताबों का उपयोग किया जा रहा है, जिनकी लागत बेहद कम है।

  • वहीं प्राइवेट स्कूलों में एनसीईआरटी के साथ-साथ निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें, कलरिंग बुक, राइटिंग बुक्स आदि जबरदस्ती पालकों को खरीदवाई जा रही हैं।

नियमों का उल्लंघन, दुकानों से टाईअप

शिक्षा विभाग के निर्देशों के अनुसार, स्कूलों को कम से कम 4-5 किताबों की दुकानों की सूची देना अनिवार्य है ताकि पालकों को विकल्प मिल सके। लेकिन अधिकतर स्कूल केवल एक दुकानदार से टाईअप कर किताबें बेचवा रहे हैं।
पुस्तक विक्रेताओं ने भी स्वीकार किया कि कुछ प्रतिष्ठित स्कूलों के साथ उनका सीधा व्यापारिक समझौता (Tie-up) है, और किताबें केवल उन्हीं से खरीदी जा सकती हैं।

किताबों से लेकर यूनिफॉर्म तक मजबूरी

जांच में सामने आया कि कई निजी स्कूल केवल किताबें ही नहीं, बल्कि यूनिफॉर्म, ट्रैकसूट, जूते-मोज़े और कॉपियां भी एक ही दुकान से खरीदने को बाध्य कर रहे हैं। इससे पालकों का कुल खर्च 10,000 रुपये तक पहुंच रहा है।

क्लास वाइज किताबों का औसत खर्च:

कक्षा केंद्रीय विद्यालय निजी विद्यालय
नर्सरी – केजी ₹150-200 ₹2000
पहली – दूसरी ₹200 ₹2500
तीसरी – पांचवी ₹250 ₹3000
छठवीं – आठवीं ₹400 ₹4000
नवमी – दसवीं ₹500-600 ₹4500
ग्यारहवीं – बारहवीं ₹800 तक ₹6000 तक

आत्मानंद स्कूलों का मॉडल बना उदाहरण

राज्य सरकार द्वारा संचालित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों (Atmanand Schools) में भी इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई होती है, लेकिन किताबों की लागत बहुत कम है। इन स्कूलों में पाठ्य पुस्तक निगम (PAPUNI) की किताबें मुफ्त दी जाती हैं और अगर अतिरिक्त सामग्री दी भी जाती है तो उसका खर्च 100 रुपये से कम होता है।

 क्या कहते हैं अधिकारी और स्कूल प्रतिनिधि

केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य सुजीत सक्सेना का कहना है कि केवल एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई कराई जाती है, जिससे बच्चों की शिक्षा किफायती और गुणवत्ता युक्त होती है।
वहीं निजी स्कूल संघ अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि बाजार में एनसीईआरटी किताबें आसानी से उपलब्ध नहीं होतीं, इसलिए स्कूलों को वर्कबुक्स का विकल्प अपनाना पड़ता है।

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