“जब तक मेरी मढ़ी तब तक तेरी गढ़ी”, विभूति (राख)से बना रुक्खड़ स्वामी का एक मात्र सिद्धपीठ..{किश्त 254}

तब कि खैरागढ़ रियासत- श्रीरुक्खड़ स्वामी बाबा का इतिहास एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। यूं कहें…