भारत के प्रमुख प्राकृतिक
किलों में एक चैतुरगढ़…
पहाड़ी पर स्थित है छ्ग
का कश्मीर…. {किश्त 270}
छत्तीसगढ़ का ‘चैतुरगढ़ किला’ अपनी वास्तुकला इतिहास और खूबसूरती के लिए विख्यात है।इसे’लाफा गढ़ किले’ के नाम से भी जाना जाता है। किला छत्ती सगढ़ के 36 किलों में से एक है।चैतुरगढ़ किला 5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है।भारत के सबसे मज़बूत प्राकृतिक किलों में से एक है।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है।चैतुरगढ़ (लाफागढ़)कोरबा जिले का ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह एक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है। ‘छत्तीसगढ़ का कश्मीर’ भी कहा जाता है। प्रसिद्ध मंदिर महिषासुर मर्दिनी को समर्पित है।सदियों पूर्व कल चुरी वंश के राजाओं ने चैतु रगढ़ का निर्माण करवाया था,चारों तरफ मोटी दीवारों से क्षेत्र को संरक्षित किया गया था,चैतुरगढ़ को प्राकृ तिक खूबसूरती केलिये पह चाना जाता है,समुद्रतल से 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित किला दूर-दूर तक फैला समतल मैदान है।गर्मी के मौसम में भी यहां का तापमान 5 से 10 डिग्री या इससे अधिक नीचे चला जाता है,इसी कारण ही इसे ‘छत्तीसगढ़ का कश्मीर’ कहा जाता है,कोरबा से ही करीब 70 किमी दूर पाली से 25 किमी उत्तर की ओर 3060 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ी चोटी पर स्थित है। प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध चैतुरगढ़ किले में प्रसिद्ध महिषासुर मर्दिनी मंदिर स्थित है। नवरात्रि में विशेष पूजा आयोजित की जाती है।10वीं शताब्दी में राजा पृथ्वीदेव प्रथम द्वारा निर्मित किला चारों ओर से मजबूत प्राकृ तिक दीवारों से संरक्षित है केवल कुछ स्थानों पर उच्च दीवारों का निर्माण किया गया है,पुरा तत्वविदों ने इसे सबसे मज बूत प्राकृतिक किलो में भी शामिल किया है। इस किले के 3 मुख्य प्रवेश द्वार हैं जो मेनका,हुमकारा, सिम्हाद्वार नाम से जाना जाता है। इस किले के बारे में कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर ने 1571 में किले परकब्जा किया था.!मुगलों ने 1628 तक शासन किया।चैतुरगढ़ के इस खूबसूरत मैदान में प्रसिद्ध देवी मंदिर में महिषा सुर मर्दिनी की 12 हाथों वाली मूर्ति,गर्भगृह में स्था पित हैं।मंदिर से 3किमी दूर शंकर गुफा स्थित है। 25 फिट लंबी सुरंग की तरह है, इस गुफा के अंदर जाना मुश्किल है,क्योंकि व्यास में बहुत कम है। इसकेअलावा यहां कई जंगली जानवर और पक्षी पाये जाते हैं।पहाड़ी के शीर्ष पर समतल क्षेत्र है,जहां पांच तालाब हैं, 3 तालाबों में हमेशा पानी भरा रहता है।यहांखूबसूरती देख मन आनंदित हो उठता है। हरे भरे ऊंचे-ऊंचे पेड़ोँ से सजा,चिड़ियों की चहच हाट, रंग-बिरंगी तितलियां इस खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्र की शान है,यही कारण है लोग इस प्राकृतिक स्थल का आनंद लेने के लिए दूर दूर से आते है एसईसीएल ने पर्यटकोँ के लिये आराम घर का निर्माण किया है। साथ ही मंदिर के ट्रस्ट ने भी पर्यटकों के लिए भी कुछ कमरे बनाये हैं।