‘शिवदुर्ग’ से आधुनिक दुर्ग, बीएसपी की स्थापना…. राजनांदगाव अलग होने का सफरनामा और जगपाल का योगदान

‘शिवदुर्ग’ से आधुनिक दुर्ग,
बीएसपी की स्थापना…. राजनांदगाव
अलग होने का सफरनामा और
जगपाल का योगदान..{किश्त 277}

दुर्ग का इतिहास दूसरी और तीसरी शताब्दी ईसा पूर्वका है। स्थापना जगपाल नाम के व्यक्ति ने की थी,जो मूल रूप से मिर्जापुर के बड़ हल देश से आया था। जगपाल छत्तीसगढ़ के कलचुरीराजा के कोषाध्यक्ष थे, उन्हें उत्कृष्ट सेवाओं में 700 गाँवों के साथ दुर्ग की भूमि अनुदान के रूप में देकर पुर स्कृत किया गया था। शहर का मूल नाम “शिव दुर्ग”था, जिसका शाब्दिक अर्थ-शिव नाथ नदी पर बना किला।तब किला हुआ करता था, कलचुरि राजाओं के प्रशा सन के तहत 18 गढ़ों या जिलों में से एक का मुख्या लय था।18वीं सदी में नाग पुर के मराठों ने दुर्ग पर आक्रमण किया था। मराठों ने पुराने कलचुरी किले पर कब्जा कर लिया, इसेअपने संचालन का आधार बना लिया। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया ने 18 वीं शताब्दी में मराठों को हराया,दुर्ग ब्रिटिश शास न केअधीन आ गया,ब्रिटिश शासन के तहत, दुर्ग एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक- औद्योगिककेंद्र बन गया, 19वीं शताब्दी में राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ा हुआ था,आगे विकास -विकास हुआ। ब्रिटिशकाल में दुर्ग प्रमुख सैन्य अड्डा भी बना। भारत को आजादी मिलने के बाद, दुर्ग मप्र राज्य का हिस्सा बना।1955 में ही भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना से पहले,भिलाई एक छोटा गाँव था, संयंत्र की स्थापना के साथ शहर का तेजी से विकास हुआ।राजनांदगांव जिला 26 जन वरी 1973 को बना, इसे तब के दुर्ग जिले से अलग किया गया था, 2000 में छत्तीसगढ़ बना, दुर्ग उसका हिस्सा बन गया।गढ़, तह सील फिर जिला, उसके बाद संभाग बना। दुर्ग के इतिहास के पन्नों में दुर्ग को गढ़ रूप में स्थापित करने के पीछे जगपाल या जगत पाल नाम के गढ़पति का नाम सामने आता है,सूत्रों के अनुसार यह कलचुरी वंश के पृथ्वी देव द्वितीय के सेनापति थे,कहीं कहीं जग पाल को मिर्जापुर के बाघल का भी निवासी बताते हैं कलचुरियों काकोषाधिकारी था।कलचुरी नरेश ने प्रसन्न होकर जगपाल को दुर्ग सहित 700 गांव इनाम में दे दिये।तब जगपाल नें यहां गढ़ स्थापित किया, मौर्य, सातवाहन,राजर्षि, शरभ पुरीय,सोमवंश,नल महि ष्मति,कलचुरी,मराठा शास कों का शासन दुर्ग में रहा।गजेटियरों में इस नगर को 1818 से 1947 तक ‘द्रुग’ लिखा जाता रहा है।1860 से 1947 तक यह मध्य प्रांत,1947 से 1956 तक सीपी एण्ड बरार में शामिल था,1नवम्बर1956 से मप्र फिर 1नवम्बर 2000 से छत्तीसगढ़ राज्य में है। दुर्ग को जिला1906 में बनाया गया, तब दुर्ग,राजनांदगांव कवर्धा मुँगेली,धमतरी के कुछ हिस्से, सिमगा के कुछ हिस्से शामिल थे।तब इस जिले में परपोड़ी,गंडई, ठाकुर टोला,सिल्हाटी बर बसपुर,सहसपुर लोहारा, गुण्डरदेही,खुज्जी, डौडी लोहारा,अम्बागढ़ चौकी, पानाबरस, कोरचा व औंधी जमीदारियां शामिल था,तब बहुत बड़ा भू-भाग दुर्गजिले में शामिल था।

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