मशवरा है कि मेरे सब्र का इंतहाँ न ले….. इस हिमाकत में तेरी जान भी जा सकती है….

मशवरा है कि मेरे सब्र
का इंतहाँ न ले…..
इस हिमाकत में तेरी
जान भी जा सकती है….

अविभाजित मप्र में जब प्रदेश में सुंदर लाल पटवा की सरकार थी तब 22सितं बर1991 से 1जनवरी 93 तक श्रीमती निर्मला बुच को मुख्य सचिव बनाया गयाथा मप्र से छ्ग अलग होने के बाद वीरा राणा भी महिला मुख्य सचिव रही है।छग में इंदिरा मिश्रा अतिरिक्तमुख्य सचिव बनकर रिटायर हुई हैँ। अभी तक प्रदेश में इस बड़े पद पर जाने वाली वे पहली महिला थी lपर अब रेणु जी पिल्ले भी छग में अतिरिक्त मुख्य सचिव बन चुकी है। 91 बैच की इस आईएएस को भारतसरकार ने भी एडीशनल सेकेटरी इम्पैनल किया है।रेणु पिल्ले भी अगले मुख्य सचिव की कतार में है यदि वे मुख्य सचिव बनती है तो छग में पहली महिला मुख्यसचिव बनने का रिकार्ड भी बन जाएगा। वैसे वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन,जून 2025 में सेवानिवृत्त होंगे हो सकता है कि सरकार उनके एक्सटेंशन काप्रस्ताव भी केंद्र को भेजे…! छग अमिताभ जैन के बाद की वरिष्ठ आईएएस रेणु जी पिल्ले को फरवरी 28तो सुब्रत साहू को जुलाई 20 28 तक अभी कार्य करना है।जिस तरह से पिछली भूपेश सरकार ने सुब्रत साहू को महत्व दिया था उससे उनके नंबर विष्णु देव सरकार में जरूर कम हुए हैं। इधर रेणु की इमानदार छवि के साथ दबंग,काम से काम रखने वाली अफसर की छवि भी है वहीं उनके पिता आईएएस रह चुके हैं तो पुत्र-पुत्रीआईएएस, आई पीएस हैं, पति संजय पिल्ले डीजी के पद से रिटायर हो चुके हैं,मौजूदा सरकार के करीबी मनोज पिंगुआ, छग कैडर के1994 बैच केआई एएस हैं। वर्तमान में गृह, जेल,के अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में कार्य कर रहे हैं।21अगस्त 1969, दिल्ली में जन्मे पिंगुआ भी मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल हैं। मुख्य सचिव किसे बनाना है? सरकार के लिए कौन उपयोगी है यह तो सीएम को तय करना है l पर यह तो तय है कि रेणु, सुब्रत साहू, मनोज पिंगुआ में से कोई एक ही अगला मुख्य सचिव बन सकता है।केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद राज्य सरकारों में सीएस,डीजीपी कौन बनेगा इस पर केंद्र की भी बड़ी भूमिका देखी जा रही है!

बसव राजू की जगह
किसे मिलेगी……

देश के सबसे घने और अन सुलझे जंगलों में से अबूझ माड़ से माओवाद के खात्मे की शुरुआत हो चुकी है, अब नक्सलियों के सामने नेतृत्व का संकट गहराता जा रहा है, बसवराजू के मारे जाने के बाद उसकी जगह कौन लेगा, इसके लिए अंदरूनी कलह की भी चर्चा तेज हो गई है।21 मई को नक्सल मुठभेड़ में कंपनी नंबर-7 का सफाया हो गया, माओवादियों का थिंक टैंक,संगठन का सबसे बड़ा नेता महासचिव बसव राजू भी मारा गया।नक्सल विरोधी अभियान में 28 नक्सली मारे गए, लेकिन माओवादी आंदोलन की बड़ी क्षति महासचिव के मौत से हुई।अब संगठन में नये महासचिव को लेकर गहमागहमी तेज हो गई है। अबूझमाड़ के घने जंगलों में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में माओ महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसव राजू मारा गया।सूत्रों की मानें तो संगठन के भीतर फिलहाल दो प्रमुख नामों की चर्चा है, देवजी (चिप्पीरी तिरुपति) सोनू उर्फ अभय (मल्लो जुला वेणुगोपाल) है। दोनों तेलंगाना के रहने वाले हैं और वर्षों से संगठन केसैन्य और रणनीतिक कार्यों में अहम भूमिका में रहे हैं,संग ठन में उपजे मतभेद और गुटबाजी के बीच किसी एक नाम पर आम सहमति बनाना मुश्किल फैसला होगा।बस्तर में इन दिनों एक तरफ नक्सलवाद के खात्मे को लेकर चलाए जा रहे ऑपरेशन की चर्चा है तो वहीं दूसरी तरफ माओ वादियों के अगला लीडर कौन होगा, इसकी चर्चा हो रही है।संगठन की अंदरूनी कलह पहली बार कोरोना काल के दौरान खुलकर सामने आई, डीकेएसजेड सी सचिव रमन्ना की मौत हुई,उस समय भी सावित्री (किशन की पत्नी), गुडसा उसेंडी और गणेश उइके जैसे दिग्गजों की दावेदारी के चलते महीनों असमंजस बना रहा।वही संकट एक बार फिर माओवादियों के लिए परेशानी खड़ा कर रहा है।सूत्रों की मानें तो पूर्वमहा सचिव गणपति (मुपल्ला लक्ष्मण राव) जिसने 2018 में स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ा था एक बार संभावित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है,सूत्रों का कहना है कि वह हाल ही में विदेश से इलाज कराकर लौटा है, अगर केंद्रीय समिति की बैठक में सहमति नहींबनती है तो कार्यकारी महासचिव की जिम्मेदारी दी जासकती है…!

कुख्यात नक्सली
हिडमा भी गिरफ्तार….

ओडिशा में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही मुहिम को एक बड़ी सफलता मिली है, सुरक्षाबलों ने कुख्यात और वांछित माओवादी कुंजम हिडमा को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी कोरापुटजिले के बाईपारिगुड़ा थाना क्षेत्र के पेठागुड़ा जंगल में की गई।यह बस्तर में आतंक का पर्याय बना था,सुकमा जिले का मूल निवासी है।

बस्तर जिला नक्सल
मुक्त,केंद्र की घोषणा

कभी नक्सलियों के गढ़ रहे बस्तर से अब लाल आतंक का नाम-ओ-निशान मिट गया है।छग के बस्तर जिले को लेकर एक ऐतिहासिक घोषणा हुई है। छत्तीसगढ़ का बस्तर अब नक्सल मुक्त हो गया है. केंद्र सरकार ने बस्तर को एलडब्ल्यूई यानी लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिज्म जिले की सूची से बाहर कर दिया है।बस्तर वह इलाका है,जहां नक्सली कभीगांजा उगाते थे,वहां अब किसान खेती करेंगे, बस्तर वही इलाका है,जो 1980 के दशक से नक्सलियों का गढ़ माना जाता था,जहां कभी कदम रखना सुरक्षा बलों के लिए जोखिम भरा था।अबूझमाड़ -ओडिशा की सीमा से बस्तर सटा है, सालों तक नक्सली गति विधियों का केंद्र रहा है।लेकिन अब यह इलाका पूरी तरह नक्सलियों से मुक्त हो चुका है,बस्तर को केंद्र की ओर से एलडब्ल्यूई जिलों को मिलने वाली विशेष केंद्रीय मदद को भी सरकार ने बंद कर दिया है।बस्तर वोजिला हुआ करता था, जहां से अबूझमाड़- ओडिशा की एक बड़ी लंबी सीमा लगती थी।कोलेंग, तुलसीडोगरी की पहाड़ियों पर 2 साल पहले फोर्स का पहुंचना मुश्किल मानाजाता था।दरभा की घाटी में जहां झीरम घाटी हमला हुआ था वहां पूरी तरह नक्सलियों की सल्तनत थी।यहां अब फोर्स के कैंप खुल चुके हैं और ये इलाका पूरी तरह नक्सल मुक्त हो चुका है।वैसे बस्तर संभाग के बीजा पुर,कांकेर, नारायणपुर और सुकमा नक्सल प्रभा वित जिलों में शामिल हैं। इन ज़िलों का वर्गीकरण पिछले साल ही किया गया था।

छ्ग में आईपीएस के
11 पद बढ़ाये गये…

छत्तीसगढ़ में अब पुलिसिंग व्यवस्था को और अधिक मजबूती मिलने जा रही है। केंद्र सरकार ने प्रदेश को आवंटित आईपीएस कैडर में 11 पदों की वृद्धि को स्वीकृति दे दी है। इसके साथ ही अब छग में आईपी एस अधिकारियों की कुल संख्या 142 से बढ़ 153 हो गई है।संशोधन भारत के राजपत्र में 21 मई 2025 को प्रकाशित किया गया।इससे न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी, राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों कोभी प्रमोशन का बेहतर अवसर मिलेगा। आईपीएस पदों का यह चौथी बार कैडर रिवीजन है,राज्य की बढ़ती प्रशासनिक जरूरतों,नये जिलों की सुरक्षा,आवश्य कता को ध्यान में रखते हुए किया गया है। जीपीएम, मोहला-मानपुर,सक्ती,सारं गढ़-बिलाईगढ़,मनेंद्रगढ़,चिर मिरी-भरतपुर,खैरागढ़नए जिले बनाए गए हैं। इन क्षेत्रों में एसपी के नए पद सृजित करने की जरूरत थी, ताकि कानून व्यवस्था बनाए रखने में कोई ढील न आए। यहां बताना जरुरी है कि 2004 में पहली बार कैडर रिवीजन में 81 फिर 2010 में दूसरी बार,बढ़कर 103 पद,2017 में तीसरी बार,142 और 2025 में चौथी बार, अब 153 पद हो गये हैं।राज्य पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी, जिन्हें वर्षों से पदोन्नति की प्रतीक्षा थी।सुरक्षा एजेंसियां, साइ बर अपराध, विशेष जांच और अधिक सक्षम होंगी।यह निर्णय राज्य के सुरक्षा तंत्र को और सशक्त करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

और अब बस……

0छ्ग के पहले सीएम अजीत जोगी की मूर्ति स्थापना पर विवाद समझ के परे है…?
0किस मंत्री की भाभी पर अवैध रेत उतखनन पर संरक्षण का सीधा आरोप लग रहा है..?
0छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर नक्सलियों ने 5000 किलोग्राम बारूद लोड वैन को लूट लिया है। इस घटना के बाद से छग में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है।

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