एक बोझ है दिल पर उसे उठा भी नहीं सकता….. क्या बोझ है दिल पर यह बता भी नहीं सकता…..

एक बोझ है दिल पर उसे
उठा भी नहीं सकता…..
क्या बोझ है दिल पर यह
बता भी नहीं सकता…..

भारत के लोकतंत्र और संविधान पर सत्तारुढ़ भाजपा की तरफ से लगातार प्रहार हो रहे हैं।उपराष्ट्रपति जगदीप धन खड़ ने शीर्ष अदालत पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ”हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आपभारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें.. समय आ गया है, हमारी तीन संस्थाएं – विधायिका, न्यायपालिका,कार्यपालिका फूलें-फलें, किसी एक की ओर से दूसरे के क्षेत्र मेंहस्त क्षेप चुनौती पैदा करता है, जो अच्छी बात नहीं है।” धनखड़ ने टिप्पणी सर्वोच्च न्यायालय के ‘तमिलनाडु राज्य बनाम राज्यपाल’ फ़ैसले की आलोचना करते हुए की थी। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अनु च्छेद-142 का इस्तेमाल करके वर्षों से लंबित 10 विधेयकों को राष्ट्रपति की ‘अनुमति प्रदान की गई’मान कर पारित किया हालांकि धनखड़ की इस टिप्पणीका एक कारण वक़्फ़ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के सरकार से सवाल भी हो सकते हैं,इस टिप्पणी के बाद झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शीर्ष अदालत और मुख्य न्यायाधीश पर बेहद गंभीर आरोप लगा कहा कि ‘देश में धार्मिक युद्ध भड़ काने के लिए सुप्रीम कोर्ट ज़िम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है।अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद,विधानसभा का कोई मतलब नहीं है’ इसे बंद कर देना चाहिए।इसके साथ ही उन्होंने कहा “इस देश में जितने गृहयुद्ध हो रहे हैं उसके ज़िम्मेदारकेवल चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया संजीव खन्ना हैं!वैसे भारत में राष्ट्रपति और सुप्रीमकोर्ट दोनों ही महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं जिनकी अपनी-अपनी शक्तियाँ, जिम्मेदारियाँ हैं।राष्ट्रपति के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने की प्रक्रिया है।सुप्रीम कोर्ट को न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्राप्त है,जिसके तहत किसी भी कानून, सरकारी फैसले की समीक्षा कर सकता है और उसे रद्द कर सकता है यदि संविधान के विरुद्ध हो।संविधान के अनुच्छेद 13 के तहत,सुको को यह शक्ति प्राप्त है कि वह किसी कानून,सरकारी फैसले को रद्द कर सकता है जो संविधान के मूल ढांचे के विरुद्ध हो, यदि राष्ट्रपति का कोई फैसला संविधान के विरुद्ध होता है, सुप्रीम कोर्ट उसे रद्द कर सकता है। हालांकि,राष्ट्रपति के कुछ फैसले ऐसे होते हैं जो न्या यिक समीक्षा के दायरे से बाहर होते हैं।इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट,राष्ट्रपति के फैसलों को रद्द कर सकता है यदि संविधान के विरुद्ध हों। यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है,इसके लिएसुप्रीम कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होता है कि राष्ट्रपति का फैसला वास्तव में संवि धान के विरुद्ध है।

41आईएएस सहित
11 कलेक्टर बदले…

सुशासन तिहार के बीच प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने के उद्दे श्य से अफसरशाही में फेर बदल किया है। सरकार ने 41 आईएएस अधिकारियों की जिम्मेदारियों में बदलाव करते हुए नई पदस्थापना दी है।11 कलेक्टर बदले गए हैं, जिनमें से कई अफ सरों को पहली बारकलेक्टर बनने का मौका मिला, सूची के अनुसार कुणाल दुदावत को दंतेवाडा,मयंक चतुर्वेदी को रायगढ़,संजय कन्नौजे को सारंगढ़-बिलाईगढ़, नूपुर राशि पन्ना को कोंडा गांव,कुंदन कुमार को मुंगे ली, इंद्रजीत चंद्रावल को खैरा गढ़-छुईखदान -गंड ई,संजय अग्रवाल बिलास पुर के कलेक्टर बनाए गए हैं। दिव्या उमेश मिश्रा को बालोद, जन्मेजय महोबे, जांजगीर- चांपा,सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे को राजनांदगांव कलेक्टर नियुक्त किया गया है।

कुछ पुलिस कप्तान बदले,
विजय को पांचवे जिले की कमान….

छ्ग सरकार ने 20 आईपी एस की तबादला सूचीजारी की है,डीजी पवनदेवपुलिस गृह निर्माण के चेयरमेन होंगे तो दीपक झा,आईजी सरगुजा रेंज,अभिषेकशांडि ल्य,आईजी राजनांदगांव रेंज,बालाजी सोमावार आई जी स्पेशल ब्रांच,अजातशत्रु बहादुर सिंह, डीआईजी इंटेलिजेंस, अंकित कुमार गर्ग,आईजी एसआईबी बनाये गये हैं। विजय अग्र वाल,एसएसपी, दुर्ग बनाया गया हैं,जशपुर,जांजगीर, सरगुजा, बलौदाबाजार के एसपी रह चुके हैं।बलौदा बाजार में कलेक्टर,एसपी ऑफिस जलाये जाने के बाद वहाँ स्थिति नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाने के कारण उन्हें दुर्ग जैसे बड़े जिले की जिम्मे दारी दी गई है।राजेश अग्र वाल को सरगुजा का एस एसपी बनाया गया है। सुश्री भावना गुप्ता को एसपी बलौदाबाजार -भाटापारा, सूरजसिंह एसपी धमतरी, लक्ष्य शर्मा,एसपी खैरागढ छुईखदान-गंडई तो आंज नेय वार्ष्णेय, एसपी सारगंढ -बिलाईगढ योगेश पटेल, एसपी बालोद, एसआर भगत,एसपी गौरेला -पेंड्रा -मरवाही बनाया गया है।विजय पाण्डे को एसपी, जांजगीर-चांपा बनाया गया है,आईपीएस अवार्ड मिलने के बाद पहली बार जिले की कमान दी गई है।वैसे नक्सली उन्मूलन अभियान में भी इनकी अच्छीभूमिका रही है।

पूर्व स्पीकर शुक्ला की मौत
और गलत इलाज…?

छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पं.राजेन्द्रशुक्ला की मौत मामले में ‘फर्जी डॉक्टर,अपोलो अस्पताल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। शुक्ला की मौत वर्ष 2006 में हुई थी।मिली जानकारी के अनुसार,डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जान केम और अपोलो प्रबंधन के खिलाफ शिकायत मिली थी।डॉ.नरेंद्र पर आरोप है, उनके पास फर्जी डिग्री है, उनकी लापर वाही से मरीज की जान चली गई। डॉ के खिलाफ धोखाधड़ी,जालसाजी की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।अस्पताल प्रबंधन परआरोप है बिना जांच के फर्जी डॉ कोनौकरी पर रखा और मरीज की जिंदगी खतरे में डाल दी।आरोपी वर्तमान में दमोह पुलिस की हिरासत में है। बिलासपुर के एसएस पी रजनेशसिंह ने बताया कि मप्र के दमोह के अस्पताल में सर्जरी के बाद 7 मरीजों की मौत मामले में गिरफ्तार किए गए यादव ने ही पूर्व विस अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ला का भी ऑपरेशन कियाथा। इसके बाद पूर्व स्पीकर की मौत हो गई थी…!

और अब बस….

0क्या भारत-पाक युद्ध की तरफ बढ़ रहे हैं..?
0ज़ब छ्ग में नक्सलवाद अंतिम सांस ले रहा है तो पत्थरगढ़ी को कौन हवा दे रहा है..?
0आईएएस,आईपीएस के तबादले में सीएम के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह की चली यह सूची देख लग रहा है..!
0क्या मंत्रिमंडल में विस्तार फिलहाल टल गया है…?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *