*क्या बस्तर में 70 हजार
साल पहले मानव सभ्यता
विकसित थी…?*{किश्त 279}
जगदलपुर जिले के बस्तर में 70 हजार साल पहले से मानव सभ्यता विकसितहुई थी?इस खुलासे से बस्तर के प्रागैतिहासिक काल के अभी तक ज्ञात इतिहास में नया अध्याय जुड़ गया है। बस्तर विवि एंथ्रोपोलॉजी विभाग की प्राध्यापक डॉ. सुकृता तिर्की के अनुसार जलस्रोत्रों से चाकू छीलन, छेद करने वाले औजार,तीर की नोंक,शैलचित्र और हाथ से चलाने वाले हथियारमिले हैं।बस्तर वैसे कई मामलों में लोगों की उत्सुकता का कारण बना हुआ है,वहां की जलवायु,जंगल, प्राकृतिक गुफाओँ,पुरातन सभ्यता, झरने,पुरातत्विक स्थलचर्चा में रहे हैं वहीं हाल ही खोज ने प्राचीन मानव बसाहटपर भी चर्चा शुरू कर दी है। जगदलपुर जिले के बस्तर में 70 हजार साल पहले से मानव सभ्यता विकसित हुई थी…?क्षेत्रीय कार्यालय मानव विज्ञानसर्वे क्षण,कर्मा विश्वविद्यालय के एंथ्रोपो लॉजी विभाग ने 5साल की अथक मेहनत से कुछ तथ्य जुटाए हैं।इस खुलासे से बस्तर के प्रागैतिहासिक काल के अब तक के इति हास में नया अध्याय जुड़ गया है।सबसे महत्वपूर्ण प्रमाण केशकाल के उपर बेड़ी गांव कीचट्टानों में मिल शैलचित्र हैं।सूत्रों का कहना है,शैलचित्र के सटीक काल निर्धारण के लिए कोई लैब नहीं होने से डेटिँग कर वाना कठिन हो गया है।शैल चित्र के सटीक काल निर्धा रण के लिए अब लखनऊ तक फाइलें चल रहीं हैं। पता चला है कि नवंबर में इस खोजबीन का दूसरा चरण शुरू होगा,बाद डेटिंग की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी।शैलचित्र के अलावा शोधा र्थियों ने अबूझमाड़, बीजा पुर, सुकमा, बारसूर, दंते वाड़ा से गुजरने वालीप्रमुख नदियों के आसपास पाषाण कालीन उपकरण तलाश लिये हैं।
डेटिंग से निर्धारित
होगा कालखंड….
मानव विज्ञान सर्वेक्षण के सूत्रों की मानें तो केशकाल के पास की पहाड़ी में जो शैलचित्र मिले हैं। सामूहिक शिकार, परिवार एवं हथेली के चित्र साफ नजर आ रहे हैं, इनकी डेटिंग हो जाएगी तो सटीक काल निर्धारण हो पाएगा। छग में ऐसी सुविधा नही होने से अब तक ऐसे शैलचित्र रहस्य ही बनकर रह गए हैं। चट्टानों की ओट में मिले शैलचित्र को मौसम एवं मानवीय दखलअंदाजी से नुकसान पहुंचने की आशंका भी है।