हुआ उजाला तो हम उनके नाम भूल गये…. जो बुझ गये हैं चिरागोँ की लौ बढ़ाते हुये….

हुआ उजाला तो हम उनके
नाम भूल गये….
जो बुझ गये हैं चिरागोँ की
लौ बढ़ाते हुये….

विष्णुदेव सरकार में अब 14 मंत्री हो गये हैं, पुराने अनुभवी विधायकों, पूर्व मंत्रियों की जगह पहलीबार के 3 विधायकों को मंत्री बनाया गया है,मंत्रिमंडल में पहली बार के 10 विधायक शामिल हैं,दोनों डिप्टी सी एम,वित्तमंत्री भी पहलीबार के विधायक हैं।रामविचार नेताम,केदार कश्यप और दयालदास बघेल पहले भी मंत्री रह चुके हैं, 20 माह बाद विष्णुदेव साय कैबिनेट का विस्तार हो गया, 3 नए मंत्रियों को राजभवन में पद व गोपनीयता की राज्यपाल ने शपथ दिलवायी,गुरु खुश वंत साहेब आरंग,अंबिका पुर के विधायक राजेश अग्र वाल,दुर्ग के विधायक गजेंद्र यादव मंत्रिमंडल में शामिल हो गये हैं। राजधानी रायपुर और न्यायधानी बिलासपुर से कोई मंत्रिमंडल मेंशामिल नहीं हैं।मंत्रिमंडल विस्तार में अमर अग्रवाल,राजेशमूणत अजय चंद्राकर,पुरँदर मिश्रा विक्रम उसेंडी, लता उसेंडी को शामिल करने की चर्चा तेज थी पर शामिल नहीं किया गया।छत्तीसगढ़ में कुल5 संभाग हैं, अब हर संभाग को मंत्री मिल गया है।मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सीएम समेत मंत्रियों की संख्या 14 हो गई है।सरगुजा संभाग से सबसे अधिक 5 मंत्री,बिलासपुर और दुर्ग 3, रायपुर 2 और बस्तर को 1मंत्री मिल गया है।मंत्रिमंडल मेंशामिल होने वाले नये मंत्री दुर्ग, राय पुर और सरगुजा संभाग से आते हैं।ऐसे में अब सभी संभाग से एक-एक मंत्रीबन गए हैं। इनमें गजेन्द्र यादव ओबीसी,गुरु खुशवंतसाहेब एससी और राजेशअग्रवाल सामान्य वर्ग से ताल्लुक रखते हैं।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम,
मजिस्ट्रेट और इतिहास….

छत्तीसगढ़ के रायपुर में जल्दी ही पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति हो सकती है। रायपुर केबाद भिलाई -दुर्ग, बिलासपुर में इसकाविस्तार हो सकता है।आसान भाषा में समझें तो पुलिस अधि कारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं होते हैं। आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम, कमिश्नर या फिर शासन के आदेशानुसार ही कार्य करते हैं। पुलिस कमि श्नर प्रणाली लागू होने पर जिला अधिकारी एक्जी क्यूटिव मजिस्ट्रेट के अधि कार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं।पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने पर कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। महा नगर को कई जोन में विभा जित किया जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है। जो एसएसपी की तरह जोन में काम करता है, वो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार भी होता है।सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं ये 2 से 4 थानों कोदेखते हैं।कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर पुलिस केअधिकार काफी हद तक बढ़ जाते हैं। कानून व्यवस्था से जुड़े तमाम मुद्दों पर पुलिस कमि श्नर ही फैसले लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं। डीएम के पास अटकी फाइलों पर भी अनुमति लेने की समस्या खत्म हो जाती है। यहां ये जानना भी जरूरी है,इस सिस्टम में एसडीएम, एडी एम का एग्जीक्यूटिव मजि स्ट्रियल पावर पुलिस को मिल जाती है। इस तरह के पावर मिलने से पुलिस गुंडा एक्ट,गैंगस्टर एक्ट, रासुका तक लगासकती है,भारतीय पुलिसअधिनियम 1861के भाग 4 के अंतर्गत कलेक्टर यानी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं। इस पद पर आईएएसअधिकारी बैठते हैं,पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक आईपीएस होता है। जिले की बागडोर संभा लने वाले डीएम के तमाम अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं।इस प्रणाली में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद होता है। ज्यादा तर ये प्रणाली महानगरों में लागू की गई है।पुलिस कमि श्नर को ज्यूडिशियल पॉवर भी होती हैं। सीआरपीसी के तहत कई अधिकार इस पद को मजबूत बनाते हैं। प्रणाली में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही मजिस्ट्रेट पॉवर का इस्ते माल करती है। कमिश्नर प्रणाली में किसी भी आक स्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को डीएमसमेत अन्य अधिकारियों केफैसले के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता। पुलिस खुद किसी भी स्थिति में फैसला ले सकती है।कानून व्यव स्था से जुड़े सभी फैसले लेने का अधिकार कमिश्नर के पास होगा।होटल लाइ सेंस,बार लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का अधि कार भी इसमें शामिल होता है।धरना प्रदर्शन की अनु मति देना ना देना, दंगे के दौरान लाठी चार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग हो ये पुलिस ही तय करती है। जमीन की पैमाइश से लेकर जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार भी पुलिस को मिल जाता है।बता दें कि देश जब आजाद नहीं हुआ था तब अंग्रेजों के दौर में कमिश्नर प्रणालीलागू थी।आजादी बाद भारतीय पुलिस ने इसे अपनाया। पुलिस अधिनियम,1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी के पास पुलिस पर नियंत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। अलावा, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआर पीसी),एक्जीक्यूटिव मजि स्ट्रेट को कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ शक्तियां देता है। कमिश्नर प्रणाली में इस तरह के अधिकार पुलिस को मिल जाते हैं।

180 से 8 जिलों में
सिमटा नक्सल संगठन..

कभी नक्सली संगठन का लाल गलियारा देश के 180 जिलों से होकर गुजरता था, लेकिन अब गलियारा देश के 18 जिलों में सिमट कर रह गया है।इस कामयाबी का श्रेय केंद्र व राज्य की नक्सली उन्मूलन मुहिम, रणनीति, सुरक्षाबलों को जाता है। बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. की मानें तो नक्सलियाें के विरूद्ध डिजि टल नेटवर्क भी चल रहा है। इसके साथ ही नक्सलियों के पुनर्वास की योजनाओं को भी जाता है,जिससे न केवल बहुत बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसर्पण किया है बल्कि सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में उनको बड़ी संख्या में जान भी गंवानी पड़ी है।बस्तर आईजी के अनुसार बस्तर संभाग के 4 जिले बीजापुर,सुकमा,नारा यणपुर,कांकेर हैं, जिनमें अभी नक्सलियों का प्रभाव है। इसी तरह से झारखंड का पश्चिम सिंहभूमि, महा राष्ट्र का गढ़चिरौली जिला अति नक्सल प्रभावित है।अलावा 6 अन्य जिले जो प्रभावित हैं लेकिन उनमें यदाकदा ही वारदातें होती हैं।छग का दंतेवाड़ा,गरिया बंद,मोहला-मानपुर, झार खंड का लातेहार, ओडिशा का नुवापाड़ा, तेलंगाना का मूलुग जिला भी शामिल है। इन जिलों को एलडब्ल्यूई श्रेणी में रखा है। अल्लूरी सीताराम राजू (आंध्रप्रदेश), बालाघाट (मप्र),कालाहांडी, कंधमाल, मलकानगिरी (ओडिशा) भाद्रादि-कोट्टा गुडेम (तेलंगाना) जिलों को केंद्र सरकार ने कंसर्न जिलों की सूची में रखा है।छत्तीस गढ़ के नक्सल सक्रियजिलों में बीजापुर,सुकमा,नारायण पुर और कांकेर हैं। देश के 180 जिलों से 18 जिलों में सिमटने के पीछेसुरक्षा बलों द्वारा नक्सलियाें के विरूद्ध डिजिटल नेटवर्क काे माना जा रहा है। वहीं नक्सलियों का सबसे खतरनाक हथि यार आईईडी रहा है। सड़क पर गड्ढा खोदकर बारूद लगाने से लेकर प्रेशर बम तक सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचाया, माइन डिटेक्शन सिस्टम, ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार, रोबोटिक आर्म्स जैसे आधुनिक उप करणों ने उनकी इस चाल को भी कमजोर कर दिया है। पहले नक्सली जंगलो, दुर्गम पहाड़ियों में छिपकर सुरक्षा बलों पर अचानक हमला कर दिया करते थे। अब ड्रोन, सैटेलाइट सर्वि लांस की मदद से नक्सली गतिविधियों पर पल-पल नजर रखी जा रही है।आस मान से मिल रही रीयल- टाइम तस्वीरें उनकेठिकानों मूवमेंट, हथियार छुपाने के ठिकानों को उजागर कर रही हैं। साथ ही नक्सली संगठन में शीर्ष पदाधिका रियों की कमी हो गई है। संगठन की सर्वोच्च राज नीतिक संस्था पोलित ब्यूरो में जहां 12 सदस्य होते हैं। इसमें अब केवल 4 सक्रिय सदस्य बचे हैं,मुप्पला लक्ष्म ण राव उर्फ गणपति, मल्लो जुला वेणुगोपाल राव उर्फ अभय, देवकुमार सिंह उर्फ देवजी और मिसिर बेसरा। इसी तरह केंद्रीय कमेटी में 24 सदस्य होते थे, अब 12 ही बचे हैं।सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सल समस्या से मुक्ति का लक्ष्य रखा है।आत्मसमर्पित नक्सलियों की माने तो सुरक्षा बलों का आक्रामक अभियान, प्रभा वित इलाकों में विकासयोज नाएं, संगठन में मतभेदऔर नेतृत्व संकट के चलते नक्सली लगातार कमजोर हो रहे हैं। यही कारण हैकि अधिकांश शीर्ष नक्सली नेता अंडर ग्राउंड हो गए हैं।

हाई सिक्योरिटी
नंबर प्लेट….

राजधानी रायपुर में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एच एसआरपी) सितंबर तक नहीं लगाने पर वाहनों को जब्त किया जाएगा।15दिन के बाद वाहनों की जांच करने के लिए पुलिस और परिवहन विभाग अभियान चलाएगा।इस दौरान पकड़े जाने पर चालानी कार्रवाई के साथ वाहनों की जब्ती होगी।अप्रैल 2019 के पहले के वाहनों की जांच होगी।पकड़ेजाने पर अंतिम मौका दिया जाएगा, इसके बाद भी एचएसआरपी नहीं लगाने पर वाहनों को जब्त कर लिया जाएगा।परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रायपुर जिले में अप्रैल 2019 के पहले के 13 लाख 35 हजार वाहन रजिस्टर्ड हैं। इनमें अगस्त के प्रथम सप्ताह तक करीब 6 लाख वाहनों में एचएस आरपी लगाई जा चुकी है।व करीब 1 लाख से ज्यादा आवेदन जमा हो चुके हैं, इनकी जांच करने के साथ ही नई नंबर प्लेट लगाने की प्रक्रिया चल रही है.नंबर प्लेट लगाने मेंसबसे ज्यादा परेशानी मोबाइल नंबर अप डेट नहीं होने पर हो रही है। अप्रैल 2019 के पहले के वाहनों में एचएसआरपी नहीं लगाने वाले वाहनों को चिन्हांकित कर चालानी कार्रवाई करने की तैयारी चल रही है,पुराने वाहन के मालिक जो नंबरप्लेट अप डेट नहीं कराएंगे, अपडेट करने के लिए पेट्रोल पंप संचालकों की मदद भी ली जाएगी,नई नंबर प्लेट नहीं लगाने पर पेट्रोल- डीजल देने पर सख्ती से रोकलगाने की योजना बनाई गई है, वाहन मालिकों की सुविधा के लिए चौक-चौराहों से कॉलोनियोँ, विभिन्न शास कीय, सामा जिक संगठनों के सहयोग से शिविर लगाए जा रहे हैं।

और अब बस……

0 क्या चीफ सेक्रेटरी अभिताभ जैन की फिर सेवा वृद्धि होगी….?
0एक डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ एक महिला आर क्षक ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है।
0एक आईएएस (अभी एसडीएम)ने रिश्वतखोरी की शिकायत करने अपना मोबाइल नंबर चस्पा करने की चर्चा तेज है।

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